मंगल पर कल उतरेगा नासा का रोवर perseverance जो करेगा जीवन की खोज

18 फरवरी को अमेरिका द्वारा मंगल ग्रह के लिए मार्स मिशन के तहत भेजा रोवर perseverance मंगल ग्रह पर उतरेगा।लक्ष्य है मंगल ग्रह पर अतीत में रहे जीवन के निशान तलाशना।

कल 18 फरवरी को नासा मार्स मिशन के तहत भेजा गया रोवर perseverance कल एक इतिहास रचने जा रहा है। जैसा बताया गया था लक्ष्य है मंगल ग्रह पर अतीत में रहे जीवन के निशान तलाशना वहां से सैंपल जमा करना और उनकी जांच के लिए पृथ्वी पर वापस लेकर आना लेकिन सबसे बड़ी चुनौती रोवर को मंगल ग्रह की सतह पर उतारना है वजह यह है कि सिर्फ 40% मिशन ही सफल रहे हैं अब तक।

30 जुलाई 2020 को नासा ने यह मिशन खाना किया था साढ़े 6 महीने बाद इसका रोवर मंगल गृह के क्रेटर जजीरो(jejero)  पर उतारा जायेगा।

अगस्त 2012 में पिछले मिशन में क्यूरोसिटी रोवर को उतारने में नई तकनीक स्की क्रेन से ही इस बार भी इस रोवर को मंगल ग्रह की सतह पर उतारा जाएगा आपको बता दें क्यूरोसिटी रोवर अब भी perseverance के लैंडिंग स्थल से 3700 किलोमीटर दूर है। अगर यह कुछ खोज पाया तो यह वह सारा जरूरी डेटा पृथ्वी पर भेजेगा।

मंगल ग्रह के जिस क्रिएटर जेजीरो पर रोवर उतरेगा वह 45 किलोमीटर चौड़ा है वहां अनुमान है कि 350 करोड़ वर्ष पहले पानी की झीले थी यह नदी के मुहाने में बनी थी इसलिए अंदाजा लगाया गया है कि मंगल पर कभी जीवन था जो वहां की मिट्टी के अवशेषों में मिल सकता है।

यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी और नासा एक संयुक्त मिशन 2031 में भेजेंगे जो यह कलेक्ट्रेट सैंपल को वापिस धरती पर लाकर इसकी गहन जांच करेंगे।

जिस में शामिल है इसके  वातावरण में शामिल गैस ,मिट्टी के नमूने, चट्टानों के नमूने और तरह-तरह के केमिकल जांच जो सिर्फ वहां के सैंपल से ही यह प्रथ्वी पर जांच की जा सकती है।

इस मिशन की सबसे खास बात यह ingenuity helicopter है। जो रोवर के भीतर रखा गया छोटा ड्रोन हेलीकॉप्टर इनयूनिटी क्योंकि यह एकमात्र भेजा गया छोटा ड्रोन हेलीकॉप्टर है जो वहां पर उड़ान भरेगा और हवाई सर्वे कर कई महत्वपूर्ण जानकारी जुटाएगा।

ingenuity हेलीकॉप्टर मानव तकनीकी कौशल का पहला ऐसा उदाहरण होगा जो किसी और ग्रह पर उड़ान भरेगा यह उड़ाने मंगल परमिशन के पहले साल जोकि मंगल का 1 साल हमारे 687 दिवस के दौरान होगी।

खतरनाक होंगे 7 मिनट :

मंगल पर रोवर उतारने की प्रक्रिया में 7 मिनट बहुत ही ज्यादा अहम है जिन्हें हम बहुत ही ज्यादा खतरनाक बोल सकते हैं इसी डर के 7 मिनट के दौरान बहुत ही जटिल और नाजुक तकनीकी फेरबदल होंगे। जो मंगल के वातावरण में प्रवेश से लेकर उतरने के दौरान होंगे। इसको हम मिशन का बेहद जटिल और नाजुक समय भी कह सकते हैं

 जो स्टेज है उसमें पहली स्टेज मंगल की कक्षा में यान 18 फरवरी को दोपहर क्रूज स्टेज से अलग होगा उसके सोलर पैनल , ईंधन टैंक और रेडियो स्टेज अलग होंगे।

10 मिनट बाद यह मंगल के वातावरण में 20000 किलोमीटर प्रति घंटा की गति से प्रवेश करेगा जैसा कि हम सब लोग जानते हैं वहां का वातावरण पृथ्वी के मुकाबले एक परसेंट ही घनत्व रखता है लेकिन फिर भी यान उसके वातावरण में प्रवेश करने के दौरान 1300 डिग्री सेल्सियस तक गर्म हो जाएगा।

प्रवेश के 4 मिनट बाद उसका 71 फीट चौड़ा पैराशूट खुल जाएगा जो उसकी गति को 1512 किलोमीटर प्रति घंटे पर ले आएगा।

इसके 20 सेकंड बाद यान अपनी हीट शिल्ड से अलग हो जाएगा और तब रोवर को ग्रह के वातावरण से सीधी टक्कर लेनी होगी। साथ के साथ मंगल ग्रह की तस्वीरें लेकर अपने डेटा बैंक में शामिल तस्वीरों को मिलान करना शुरू कर देना होगा जिससे रडार ऊंचाई के साथ साथ इन तस्वीरों को लेकर उनकी गणना पहले से ही दर्ज की गई गणना से मिलान करना होगा। तब यान की गति 320 kms तक घट जाएगी।

मंगल के 2100 मीटर करीब पहुंचने तक यान का रीमेनिंग हीट शिल्ड गिरा दिया जाएग इसके बाद की दूरी 6 से 7 मिनट में तय होगी यही डर के वह 7 मिनट हैं।

अब यह देखना है कि मानव मिशन का यह रोवर क्या इतिहास रचने को तैयार है। हो सकता है आने वाले समय में हमको मंगल ग्रह के बारे में और भी कई चीजें जाने का मौका मिले।

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