तारकेश्वर महादेव टैम्पल । A holy place in uttarakhand india

तारकेश्वर महादेव टैम्पल । A holy place in uttarakhand india

उत्तराखंड के जनपद पौड़ी में पर्यटन नगरी लैंसडौन के करीब धार्मिक पर्यटन के लिए लोकप्रिय गंतव्य है देवदार के ऊंचे वृक्षों से घिरा ताड़केश्वर मंदिर। समुद्र तल से करीब छह हजार फीट की ऊंचाई पर इस मंदिर को भगवान शिव की विश्राम स्थली कहा जाता है। स्कंद पुराण के केदारखंड में वर्णित विष गंगा व मधु गंगा उत्तर वाहिनी नदियों का उद्गम स्थल भी ताड़केश्वर धाम में माना गया है। मंदिर परिसर में मौजूद चिमटानुमा व त्रिशूलनुमा देवदार के पेड़ श्रद्धालुओं की आस्था को प्रबल करते हैं। 

मान्यता है कि ताड़कासुर राक्षस का वध करने के उपरांत भगवान शिव ने इसी स्थान पर आकर विश्राम किया। विश्राम के दौरान जब भगवान शिव को सूर्य की तेज किरणों से बचाने के लिए माता पार्वती ने शिव के चारों ओर देवदार के सात वृक्ष लगाए, जो कि आज भी ताड़केश्वर मंदिर के अहाते में मौजूद हैं। हालांकि, यह भी कहा जाता है कि इस स्थान पर करीब 1500 वर्ष पूर्व एक सिद्ध संत पहुंचे थे। संत गलत कार्य करने वालों को फटकार लगाने के साथ ही उन्हें आर्थिक व शारीरिक दंड की चेतावनी भी देते थे। क्षेत्र के लोग इन संत को शिवांश मानते थे। इस पूरे क्षेत्र में इन संत का बहुत प्रभाव था। संत की फटकार (ताड़ना) के चलते ही इस स्थान का नाम ताड़केश्वर पड़ा।

कोटद्वार-रिखणीखाल मोटर मार्ग पर चखुलियाखाल से पांच किमी. की दूरी पर स्थित ताड़केश्वर धाम। कोटद्वार से चखुलियाखाल तक लगातार बसें व जीप-टैक्सियां का आवागमन रहता है। निजी वाहनों से आने वाले श्रद्धालु मंदिर तक अपने वाहन से पहुंच सकते हैं, लेकिन सवारी वाहनों से आने वाले यात्रियों को पांच किमी. की दूरी पैदल तय करनी पड़ती है। 

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Credits:jagran