क्या चन्द्रमा एलियंस यानि परग्रही जीवो का अड्डा है | रहस्यमय चन्द्रमा के कुछ रहस्यमय तथ्य जिनको समझ पाना बहुत ही मुश्किल है

चन्द्रमा पृथ्वी का एकमात्र प्राकृतिक उपग्रह है। यह सौर मंडल का पाँचवां,सबसे विशाल प्राकृतिक उपग्रह है। इसका आकार क्रिकेट बॉल की तरह गोल है। और यह खुद से नहीं चमकता बल्कि यह तो सूर्य के प्रकाश से प्रकाशित होता है। पृथ्वी से चन्द्रमा की दूरी ३८४,४०३ किलोमीटर (384,403 km) है। यह दूरी पृथ्वी के व्यास का ३० गुना है। चन्द्रमा पर गुरुत्वाकर्षण पृथ्वी से १/६ (1/6) है। यह पृथ्वी कि परिक्रमा २७.३ (27.6) दिन में पूरा करता है | चांद ने हमेशा मानव इतिहास में एक अहम भूमिका निभाई है भारतीय कालगणना ज्योतिष विद्या इसी पर आधारित है। मास, तिथि , पर्व को बेहद सूक्ष्म विचारों के आधार पर तय किया जाता है। जिसका आधार चंद्रमा ही है। चंद्रमा मन का द्योतक है। पृथ्वी के पास या दूर उसकी स्थिति और सूर्य का प्रकाश लेकर चमकने की उसकी नियति मनुष्य ही नहीं दूसरे प्राणियों को प्रभावित करती है।

दोस्तों आज  हम बात करते है  अपने प्राकृतिक उपग्रह  चन्द्रमा की |
जो हमेशा  प्यार का प्रतीक  रहा है और साथ के साथ अंधविस्वास  का भी |
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चन्द्रमा पृथ्वी का एकमात्र प्राकृतिक उपग्रह है। यह सौर मंडल का पाँचवां,सबसे विशाल प्राकृतिक उपग्रह है। इसका आकार क्रिकेट बॉल की तरह गोल है। और यह खुद से नहीं चमकता बल्कि यह तो सूर्य के प्रकाश से प्रकाशित होता है।  पृथ्वी से चन्द्रमा की दूरी ३८४,४०३ किलोमीटर (384,403 km) है। यह दूरी पृथ्वी के व्यास का ३० गुना है।  चन्द्रमा पर गुरुत्वाकर्षण पृथ्वी से १/६ (1/6) है। यह पृथ्वी कि परिक्रमा २७.३ (27.6) दिन में पूरा करता है | चांद ने हमेशा मानव इतिहास में एक अहम भूमिका निभाई है भारतीय कालगणना ज्योतिष विद्या इसी पर आधारित है। मास, तिथि  पर्व को बेहद सूक्ष्म विचारों के आधार पर तय किया जाता है। जिसका
 आधार चंद्रमा ही  है। चंद्रमा मन का द्योतक है। पृथ्वी के पास या दूर उसकी स्थिति और सूर्य का प्रकाश लेकर चमकने की उसकी नियति मनुष्य ही नहीं दूसरे प्राणियों को प्रभावित करती है।


  
आज हम आपको चंद्रमा से जुड़ा वह रहस्य बताएंगे जिसे जानकर आप चौंक जाएंगे। वैसे तो चाँद की उत्पत्ती कैसे हुई ये पूरी तरह से सिद्ध नहीं हो पाया। इनमें चंद्रमा के उत्पत्ती के सिद्धांत कई वैज्ञानिको ने अलग अलग रखे है पर उनमे से कुछ सिद्धांतों को ज्यादा सही माना जाता है। 
अभी तक चांद के बनने में कुछ theorires है जिसमें से 3 theory बहुत ज्यादा प्रसिद्ध है|

जिसमें से पहली है कि फिशिंग (Fishing)थ्योरी 
फिशिंग थ्योरी के  अनुसार चंद्रमा की उत्पत्ति हमारे सौर मंडल निर्माण के शुरुवाती समय में हुई। चाँद भी कभी धरती का अभिन्न  अंग  रहा होगा जो किसी दूसरे 
एस्टेरॉयड के धरती पर टकराने की वजह से उसके मलबे  से बना होगा | माना जाता था कि मंगल ग्रह के आकार वाले आकाशीय पिंड के पृथ्वी के साथ टकराने 
पर चंद्रमा का निर्माण हुआ।  जब पृथ्वी से एक दूसरा ग्रह टकराया इस भयंकर टक्कर से चाँद की उत्पत्ति हुई और  हमारी पृथ्वी पर एक बहुत बड़े खड्डे का निर्माण हुआ जो वो आज प्रशांत महासागर है।एक अध्ययन से पता चला है हमारा चंद्रमा एक गोलाकार आकृति में  वाष्पीकृत चट्टान से बना हुआ है, जो कि किसी भारी टकराव के कारण बना है। 


दूसरी है कंडेंसशन (condensation)थ्योरी  उसके अनुसार जब सौर मंडल बना होगा तभी धरती के साथ चाँद का भी निर्मार्ण  हुआ होगा | उनमे सिद्धांत ये है की, चंद्रमा और पृथ्वी की उत्पत्ती साथ साथ हुई है और चंद्रमा प्राकृतिक रूप से हमारा एक मुख्य उपग्रह बना। मगर ये सिद्धांत यहा गलत साबित होता है, क्यों की पृथ्वी और चंद्रमा का निर्माण साथ साथ हुआ तो इनकी संरचना ये क्यों अलग अलग है

तीसरी थ्योरी है कैप्चर (Capture)थ्योरी |

जिसके अनुसार चाँद अपने सोर मंडल का हिस्सा  न होकर  दूसरे सौर मंडल का हिस्सा  रहा होगा |और किन्ही कारणों से दूसरे सौर मंडल से निकल कर 
हमारे सौर मंडल में  आ कर पृथिवी के  गुरुत्वाकर्षण मे फस कर उसकी परिकर्मा करने लगा होगा |कहा तो यह भी जाता है की चाँद नेचुरल तरीके से नहीं बना है यहाँ  तक भी कहना है की चाँद अंदर से खोकला है | यह जिस तरीके से बना है वोह किसी उन्नत  सभ्यता ने बनाया हो सकता है बल्कि चाँद एक उपग्रह न होकर एक स्पेसशिप भी हो सकता है जिसके अंदर सारा नेविगेशन सिस्टम,इंजन और अन्य उपकरण भी लगे हो सकते है | हो सकता है की उन्नत सभ्यता ने हमारी धरती के ऑर्बिट में इसको स्थापित किया होगा ताकि धरती पर नजर रखी जा सके | मतलब अगर धरती पर उन्नत सभ्यता नहीं थी 
तो यह जरूर एलियंस यानि परग्रही  जीवो  ने ही बनाया था | ताकि हमारे ग्रह पर जीवन बना रह सके | यह तो आप सभी लोगो को पता है चन्द्रमा का ग्रेविटेशनल फील्ड पृथ्वी के समुंद्र मई ज्वर भाता लाता है जिससे यहाँ  पर जीवन समुन्द्र में और धरती पर बना रहता है  

इसको हम इस तरीके से समझ सकते है की चाँद एक वास्तविक उपग्रह न होकर यांत्रिक उपग्रह  है  वह भी छोटा नहीं बहुत बड़ा |  अगर   विस्तार से बताये  तो  बहुत बड़ा  यांत्रिक उपग्रह कह सकते है |

अपोलो 11 ये एक ऐसा मिशन था जिसके जरिये इंसान ने चाँद पर पहली बार कदम रखा, अपोलो 11 यह एक ऐसी उड़ान थी  जिसने चाँद पर पहले इंसान "नील आर्मस्ट्रांग" और "एडविन बज एल्ड्रिन जुनिअर" को 10 जुलाई 1969 को सफल पूर्वक उतारा था। 


अमेरिका का ये अभियान मानव इतिहास और अंतरिक्ष अनुसंधान के इतिहास में बहुत बड़ी उपलब्दी थी  ।नवंबर १९६९ को अपोलो मिशन के  दौरान अपोलो टीम  ने एक लूनर मॉडल (lunar model) चाँद पर छोड़ा और चाँद पर कुछ अध्यन करने को उसको टकराने दिया  जैसे ही वो लूनर मॉडल  चाँद की सतह से टकराया  तो ३० फ़ीट चौड़ा  और कई फ़ीट गहरा गङ्ढा  बन गया | जब ये टक्कर हुई तो उसका असर लगभग 25 मील तक हुआ। उस लूनर मॉडल  के चाँद पर टकराते ही  चाँद पर भूकम्प की लहरे  पैदा हो गयी और वो एक घंटे की तरह आवाज करने लगा जिसको अलग अलग इंस्ट्रूमेंट्स  से रिकॉर्ड किया गया | 


चाँद  की  सतह कई  घंटे तक कंपन  करता रही जिसके  रिजल्ट नासा  के  वैज्ञानिको ने रिकॉर्ड किये | रिजल्ट अविश्वसनीय  थे 
वह यह  जान कर चकित रह गए की कम्पन तभी आ सकते है जब चाँद की सतह खोकली  हो और वोह धातु का बना हो | इससे अनुमान लगाया जा रहा है की, चंद्रमा एक खोखले धातु के गोले की तरह है जिसकी सतह धूल से ढकी हुई है।  और नासा का यह मानना है की, चंद्रमा की सतह से लगभग 2 से 3 मील की गहराई तक धातु की परत है और  वहा का तापमान दिन में 180डिग्री तक पहुँचता है और रात में -150डिग्री तक पहुँचता है तब भी चाँद पर इसका कोई असर नही होता है। वैज्ञानिको के अनुसार चाँद और धरती की उम्र बराबर होनी चाहिए  लेकिन वैज्ञानिको दुवारा किये गए रिसर्च और कैलकुलेशन से पता चला है 


की दोनों की उम्र अलग अलग है| चाँद ५.५   बिलियन साल पुराना है और धरती  केवल  ४.५  बिलियन साल पुरानी है | एक चौंका देने वाली बात यह है की, चाँद की उमर पृथ्वी की  उम्र   से ज्यादा है इससे  पता चलता है की चाँद धरती का हिस्सा न होकर बल्कि  और किसी सौर मंडल से आया हो सकता है |

चाँद पर पाए जाने वाले  पत्थर  में टाइटेनियम ,यूरेनियम २३६ ,नैप्टुनियम २३७ जैसे एलिमेंट पाए गए जो धरती पर प्राकर्तिक  तौर पर नहीं  है| 
यानि चाँद अलग तत्वों से बना है और पृथ्वी अलग तत्वों से बनी है   चाँद की सतह टाइटेनियम ,यूरेनियम २३६ ,नैप्टुनियम २३७ जैसे एलिमेंट से  
 है जिसे  स्पेसशिप की बाहर    की  सतह बनाने  के  लिए' इस्तेमाल किया जाता है | जिससे सतह ज्यादा  तापमान  और दबाव सहन कर सके बिना नष्ट हुए |

पृथ्वी की डेंसिटी ५ .५   ग्राम /सेंटीमीटर क्यूब (5.5 g/cm³)  है वही  चाँद की डेंसिटी ३.३  ग्राम /सेंटीमीटर क्यूब  (3.34 g/cm³) है|  जिससे पता चलता है की चाँद अंदर से खोखला हो सकता है | सबसे अजीब बात है की चाँद पृथ्वी  के गरूत्वाकर्षण  से  बाहर है और  पृथ्वी की परिक्रमा  लगातार सर्कुलर  पथ मे कर रहा है जबकि इसका पथ एलिप्टिकल  पाथ  होना चाहिए | वैज्ञानिक हैरान  है की इसका  पाथ सर्कुलर होने पर भी बिना लड़खड़ाए कैसे चलता रहता है और पृथ्वी की परिकर्मा करता रहता है | वैज्ञानिको  का मानना है कि चाँद जितना  बड़ा होना चाहिए उससे  काफी बड़ा है  और जितना मास  होना चाहिए उससे काफी कम है | 


चाँद पृथ्वी के यिर्दगिर्द घूमता है पर हमे चाँद का एक ही हिस्सा दिखाई देता है और चाँद का दूसरा हिस्सा आजतक हमे पृथ्वी से दिखाई नही दिया 
जिसे चाँद की डार्क साइड कहते है। ऐसा हो  सकता है की परग्रही वासी  धरती पर जीवन  चलाना चाहते हो और धरती पर अंधकार को दूर करना चाहते इसलिए   इस  यांत्रिक चन्द्रमा को यहाँ लाया गया हो | यह तभी पॉसिबल है जब  डार्क साइड  ऑफ़  मून की तरफ   थ्रूस्टर  लगा या कोई टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करके  चन्द्रमा को धकेल कर  यहाँ लाया गया हो बिलकुल पृथ्वी के पास सही जगह पर |

इसलिए डार्क साइड मून की हमेशा छिपी रहती है और चन्द्रमा के अपनी दुरी पर चक्कर न लगने की वजह से  हम सिर्फ सामने का हिस्सा देख पाते है और यह भी  माना जाता है की, चाँद के डार्क साइड में एक एलियन सभ्यता बसती है और वहा बहुत बड़ा एलियन बेस है जो हमारे पृथ्वी पर नजर रखे हुए है।  दोस्तों कुछ तो बात है जो, 1969 के बाद चाँद पर आजतक कोई मिशन नही हुआ। माना जाता है की चाँद पर एक उच्च परग्रही 


वासिओ का एक एलियन बेस है जिसके डर की वजह से इतने सालों के बाद भी और इतना नज़दीकी ग्रह होने के बावजूद भी फिर से इंसान चाँद पर नही गया,

यह कुछ ऐसे तथय  है जिससे चाँद रहस्यमय  बन जाता है और साथ के  साथ अपने अंदर बहुत रहस्य छुपा लेता है | यदि हमारे चन्द्रमा  को सही मे  किसी बाहरी   परग्रही जीवो  यानि  एलियंस  ने   बनाया है तो इसके पीछे उनका क्या प्लान होगा यह तो आने वाला समय ही बता पायेगा |

वैज्ञानिको  का मानना है कि यह केवल एक दमदार कहानी भी हो सकती है | जब  तक कोई पुख्ता सबूत न मिले ना मिले | लेकिन यह कितनी सच है यह नहीं कहा जा सकता।
अब इस थ्योरी में  कौन सी बात सच्ची है बता पाना बहुत ही मुश्किल है |  
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Credits : Google/Wikipidia

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