यह है ' ब्रह्मांड की आवाज': नासा का वोएजर -1 अंतरिक्ष यान 14 बिलियन मील दूर से इंटरस्टेलर गैस के 'हम' जैसी ध्वनि सुना रहा है।

'द साउंड ऑफ द यूनिवर्स ': नासा का वोएजर -1 अंतरिक्ष यान 14 बिलियन मील दूर से इंटरस्टेलर गैस के 'हम' का खुलासा कर रहा है। जो एक तरह का आश्चर्य है मनुष्य जाति के लिए।

वोएजर-1  स्पेसक्राफ्ट द्वारा यह सारा डेटा  14 बिलियन मील दूर से पृथ्वी पर भेजा जा रहा है।

सौर प्रणाली से बाहर यात्रा करने वाले नासा के वायेजर -1 अंतरिक्ष यान ने पृथ्वी से 14 अरब मील की दूरी पर इंटरस्टेलर गैस द्वारा दिए गए 'हम' साउंड का रिकार्ड करते हुए नया डेटा वापस भेजा है।जिसने सारे वैज्ञानिक कम्युनिटी मे उथल पुथल मचा दिया है।यह उनके लिए इस सदी का बेहतर डेटा है जो हमेशा से वो चाहते थे।

यह अंतरिक्ष यान, वर्तमान में इससे पहले किसी भी मानव निर्मित वस्तु की तुलना में पृथ्वी से बहुत दूर है, यह बाहरी सौर मंडल के गैस जिएंट्स का अध्ययन करने के लिए 44 साल पहले नासा द्वारा लॉन्च किया गया था।

इसके उपकरणों (Voyager-1) ने अब प्लाज्मा के 'निरंतर ड्रोन' को रिकॉर्ड किया है - यह वो पदार्थ की चौथी स्थिति है जो ब्रह्मांड के 99.9 प्रतिशत - इंटरस्टेलर स्पेस में है।

Voyager-1 बहुत ही हल्की और मोनोटोन साउंड वापस नैरो फ्रीक्वेंसी बैंडविथ  की फॉर्म मे वापस पृथ्वी पर भेज रहा है।

Voyager-1 से सिग्नल को पृथ्वी तक पहुँचने में 20 घंटे के करीब लगते हैं। और Voyager- 2 से सिग्नल को पृथ्वी तक पहुँचने में 16 घंटे के करीब लगते हैं।

कॉर्नेल विश्वविद्यालय के खगोलविदों, जिन्होंने इंटरस्टेलर  हम साउंड का विश्लेषण किया था, का कहना है कि डेटा संकेत इतना कमजोर था कि यह  बिना मैनिपुलेशन के नही सुनाई देता है।

यह आशा की जाती है कि निरंतर ह्यूम की खोज से खगोलविदों को यह समझने में मदद मिलेगी कि सूर्य की सौर हवाओं के किनारों से मीडियम किस तरीके से रिएक्ट करता है।

इंटरस्टेलर मीडियम असल में है क्या: स्पेस बेटविन स्टार सिस्टम

इंटरस्टेलर मीडियम आकाशगंगा में तारा प्रणालियों के बीच अंतरिक्ष में मौजूद पदार्थ और विकिरण है।

इसमें परमाणु (एटॉमिक)और आणविक रूप (molecular form) में पाई जाने वाली गैसें, साथ ही पास के सितारों से धूल और कॉस्मिक किरणें शामिल हैं।

इंटरस्टेलर मीडियम इंटरस्टेलर स्पेस को भरता है और आसपास के interglactic स्पेस में घूमता रहता है।

सौर प्रणाली में मीडियम हेलिओपॉज ( heliopause) के किनारे से शुरू होता है, यह वह बिंदु है जहां सूर्य की हवाएं मीडियम के  साथ संतुलन बनाती है।

खगोल विज्ञान में कॉर्नेल डॉक्टरेट के छात्र, स्टेला कोच ओकर ने उत्सर्जन का खुलासा किया की यह पूरा डेटा 14 अरब मील से अधिक दूर से भेजे गए है वॉयजर-1 द्वारा।

वायेजर 1 अगस्त 2012 में इंटरस्टेलर स्पेस को पार हुआ था ।यह गोल्डन रिकॉर्ड की एक प्रति ले गया है ।इस के अंदर 55 भाषाओं में, पृथ्वी पर लोगों और स्थानों की तस्वीरें और बीथोवेन से लेकर चक बेरी 'जॉनी बी goode तक के संगीत की शुभकामनाएं हैं।

2012 में इंटरस्टेलर स्पेस में प्रवेश करने के बाद, वायेजर के प्लाज़्मा वेव सिस्टम ने  गैस के बर्स्ट  का पता लगाया जो अपने सूर्य की वजह से था।

1977 में अब तक लॉन्च किए गए वायेजर 1 और वायेजर 2, पृथ्वी से क्रमशः 14 और 11 बिलियन मील की दूरी पर स्थित हेलियोस्फीयर के बाहर निरन्तर जांच कर रहे हैं और वैज्ञानिक कम्युनिटी को डाटा उपलब्ध करा रहे है।

सितंबर 1977 में लॉन्च, वायेजर 1 ने 1979 में जुपिटर से और फिर 1980 के अंत में शनि से उड़ान भरी। लगभग 38,000 मील प्रति घंटे की रफ्तार से यात्रा करते हुए अगस्त 2012 में इसने हेलिओपॉज को पार किया।

अब VOYAGERS कहां हैं?

वायेजर 1 वर्तमान में पृथ्वी से 14 बिलियन मील दूर है, जो अंतरिक्ष के मीडियम मे उत्तर की ओर यात्रा कर रहा है।इस बीच, वॉयेजर 2 अब पृथ्वी से 11.77 बिलियन मील दूर है, जो दक्षिण की ओर इंटरस्टेलर क्षेत्र की यात्रा कर रहा है।

यह दो अंतरिक्ष यान के विपरीत स्थान वैज्ञानिकों को अंतरिक्ष के दो क्षेत्रों की तुलना करने की सुविधा देते हैं जहां हेलियोस्फीयर इंटरस्टेलर मीडियम के साथ इंटरेक्ट करता है।

वायेजर 2 interstaller मीडियम को पार करते हुए वैज्ञानिकों को एक ही समय में दो अलग-अलग स्थानों से  मीडियम का नमूना लेने की सुविधा देता है।

Voyager 1 स्पेसक्राफ्ट  17 kilometers per second (38,000 mph) की गति से स्पेस की यात्रा कर रहा है। और Voyager 2 की velocity है 15 kilometers per second (35,000 mph) जो अपने साथी स्पेसक्रााफ्ट से 3000mph कम है।

इस गति से Voyager 1 को अपने सोलर सिस्टम के पड़ोसी proxima Centauri तक पहुंचने मे 16700 साल लगेंगे और Voyager 2 को 20300 साल लगेंगे।

 आगे क्या क्या आश्चर्य दिखने को मिलते है दोनो स्पेसक्राफ्ट के माध्यम से यह तो समय ही बता पाएगा।

Credits: NASA/JPL

Image source: google images