एक अनोखा ऐस्टरॉइड Oumuamua । क्या यह एलियन टेक्नॉलजी थी ?

२०१७ में देखा गया ऐस्टरॉइड Oumuamua । क्या यह एलियन टेक्नॉलजी थी ?हार्वर्ड वैज्ञानिक के दावे से सारी दुनियां में हलचल हो गई थी

एक अनोखा ऐस्टरॉइड Oumuamua । क्या यह  एलियन टेक्नॉलजी थी ?

Oumuamua नाम का ऐस्टरॉइड 2017 में देखा गया था। इसका आकार अजीब तरीके का था। हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर ने दावा किया है कि यह ऐस्टरॉइड था ही नहीं।

हार्वर्ड वैज्ञानिक ने दावा किया है 2017 मे देखा गया 'अनोखा' ऐस्टरॉइड असल में एलियन टेक्नॉलजी का नमूना था ?

हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर  लोएब का कहना है कि 19 अक्टूबर, 2017 को देखी गई स्पेस रॉक Oumuamua दरअसल एलियन लाइफ का सबूत थी। यूनिवर्सिटी ऑफ हवाई के PAN-STARRS1 टेलिस्कोप ने इसे देखा था।

सिगार के आकार का ये ऑब्जेक्ट 1.96 लाख मील प्रतिघंटा की रफ्तार से धरती के करीब से गुजरा था और इसे धूमकेतु या ऐस्टरॉइड माना गया था। हालांकि, ऐवी का कहना है कि यह कोई आम स्पेस रॉक नहीं थी।

उन्होंने बताया है कि Oumuamua हर आठ घंटे पर अपनी धुरी पर घूमते हुए सूरज की एक सी चमक रिफ्लेक्ट करता था। इससे संकेत मिलता है कि वह हर आठ घंटे पर अपने केंद्र पर पूरी तरह घूम लेता था जो कि एक alien  स्पेस craft होने कि और इशारा करती है। इससे पहले किसी दूसरे स्पेस ऑब्जेक्ट का आकार ऐसा नहीं पाया गया था। इसकी चमक सामान्य धूमकेतुओं या ऐस्टरॉइड्स से दस गुन ज्यादा थी।

हारवर्ड यूनिवर्सिटी के डिपार्टमेंट ऑफ ऐस्ट्रोनॉमी के हेड ऐवी ने अपनी आने वाली किताब एक्स्ट्राटेरेस्ट्रियल में बताया है कि वह ऐसा क्यों मानते हैं। उनका सबसे बड़ा दावा जो ऐवी इसके एलियन लाइफ के सबूत के तौर पर देते हैं, वह है सूरज के गुरुत्वाकर्षण का असर। उन्होंने बताया कि सूरज के करीब जाने पर गुरुत्वाकर्षण के कारण किसी भी स्पेस ऑब्जेक्ट्स यानी astereoids की रफ्तार तेज हो जाती है और सूर्य से दूर जाने पर धीमी। पर astereoid Oumuamua के साथ ऐसा नहीं हो रहा था। बल्कि उसकी गति एक समान थी ।जो अपने आप में एक आश्चर्य से कम नहीं था ।उन्होंने यह भी कहा है कि किसी धूमकेतु या ऐस्टरॉइड की तरह Oumuamua की कोई पूंछ नहीं थी जिससे कहा जा सके और माना जा सके की यह सही में astereoid  था । इसमें न ही कोई इससे कार्बन के संकेत मिले। इसके चक्कर का जो रास्ता था, वह अपने आप में काफी अजीब था। यह बाहर interstellar स्पेस से हमारे सौर मंडल में दाखिल हुआ और सूर्य का चक्कर लगाते हुए वापस एक ही गति से interstellar स्पेस में चला गया।

सारे वैज्ञानिक इसकी खोज में जुटे रहते है कि हमारी धरती के अलावा ब्रह्मांड में कहीं और जीवन है या नहीं इसी क्रम में लगातार हमारे सौर मंडल के सारे ग्रहों पर जीवन पर जीवन की तलाश करते रहते है।

एलियंस के धरती पर आने के कई दावे किए जाते रहे लेकिन कभी कोई ऐसा सबूत नहीं मिल सका जिसके आधार पर माना जाए कि हम अकेले नहीं हैं।

हालांकि, हार्वड यूनिवर्सिटी के एक प्रोफेसर ने न सिर्फ एलियंस के अस्तित्व का दावा किया है बल्कि यह भी कहा है कि हमारे ग्रह पर वो बहुत पहले से आते रहे है बल्कि कई देशों की सरकार से उनकी संधि है जिसमे वो टेक्नोलॉजी को हमारे साथ बाट रहे है। जिसमे area 51 सबसे प्रमुख है दावा किया जाता है कि यह इंसान और बाहरी दुनिया कई लोग मिलकर काम करते है ।

इस अड्डे के आस-पास की कठोर गोपनीयता के, जिसके वजूद को अमेरिकी सरकार शायद ही स्वीकार करती है, इसे अक्सर षड्यंत्रकारी सिद्धांतों और अज्ञात उड़ती वस्तुओं (UFO) जैसी लोक-कथाओं का विषय बना दिया है।

एरिया 51' एक सैन्य मिलिटरी इलाका है जो अमेरिकी शहर लास वेगास से 80 मील उत्तर-पश्चिम में स्थित है। यह इलाका अक्सर चर्चा  का केंद्र बना रहता है क्योंकि ऐसा माना जाता है कि यहां दूसरे ग्रहों से आए एलियनों के ऊपर शोध कार्य किया जाता है। कई लोगों ने तो यहां तक दावा किया है कि उन्होंने कई बार अनआडेंटिफाइड फ्लाइंग ऑब्जेक्ट (यूएफओ) को वहां उड़ते देखा है।

सन 1947 में किए गए एक दावे के मुताबिक इस जगह पर एक यूएफओ दुर्घटनाग्रस्त हुआ था। जिसमें से एक एलियन का शव भी बरामद हुआ था। ये एलियन 4 फुट का था और अनगढ़ मानव जैसा दिखता था। कहा जाता है कि एरिया 51 के किसी हिस्से में अब भी उस पर शोध चल रहा है।

कुछ लोगों का दावा है कि नासा के वैज्ञानिक भी यहां काम करते हैं। वो लगातार एलियंस से संपर्क साधने की कोशिश कर रहे हैं। उनके विमानों पर शोध कर रहे हैं। और एलियंस का दिमाग पढ़ने की कोशिश कर रहे हैं।

एलियंस के धरती पर आने के कई दावे किए जाते रहे लेकिन कभी कोई ऐसा  पुख्ता सबूत नहीं मिल सका जिसके आधार पर माना जाए कि हम अकेले नहीं हैं।

अमेरिका में हुए एक शोध के मुताबिक करीब 57 फीसदी लोग एलियन और उड़नतस्तरियों के वजूद को सच मानते हैं। हालांकि, इनको देखें जाने के 100 फीसदी दावों में से 90 फीसदी या तो खारिज कर दिया जाता है या फिर दबा दिया जाता है। लेकिन 10 फीसदी ऐसे भी दावे किए जाते हैं जिसमे सबूत की मौजूदगी के बारे में कहा गया  हैं।

Credits: NASA/ WIKIPEDIA

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