हबल टेलीस्कोप द्वारा लिया गया गैलक्सी NGC 2441 आकाशगंगा का चित्र। Hubble telescope image of spiral galaxy NGC-2441

This image is captured by Hubble telescope .In this image there is a bright spiral galaxy .This bright spiral galaxy is known as NGC 2441, located in the northern constellation of Camelopardalis (The Giraffe). गैलेक्सी ब्रह्माण्ड की सब से बड़ी खगोलीय वस्तुएँ होती हैं।उनमें से NGC 2441 एक वर्जित सर्पिल आकाशगंगा है

हबल टेलीस्कोप द्वारा लिया गया गैलक्सी NGC 2441 आकाशगंगा  का चित्र।  Hubble telescope image of spiral galaxy NGC-2441
Hubble image captured a bright spiral galaxy is known as NGC 2441, located in the northern constellation of Camelopardalis (The Giraffe)
हबल टेलीस्कोप द्वारा लिया गया गैलक्सी NGC 2441 आकाशगंगा  का चित्र।  Hubble telescope image of spiral galaxy NGC-2441
हबल टेलीस्कोप द्वारा लिया गया गैलक्सी NGC 2441 आकाशगंगा  का चित्र।  Hubble telescope image of spiral galaxy NGC-2441

गैलेक्सी ब्रह्माण्ड की सब से बड़ी खगोलीय वस्तुएँ होती हैं।उनमें से NGC 2441 एक वर्जित सर्पिल आकाशगंगा है जो कैमलोपार्डालिस के उत्तरी तारामंडल में स्थित है ।गैलक्सी एनजीसी NGC 2441 आकाशगंगा का व्यास लगभग १३०,००० प्रकाश-वर्ष है।हमारी आकाशगंगा से इसकी दूरी 180 मिलीयन लाइट ईयर है

 

अगर हम जिराफ या कमॅलपार्डलिस (Camelopardalis) की बात करें तो यह खगोलीय गोले के उत्तरी भाग में स्थित एक अकार में बड़ा लेकिन धुंधला-सा तारामंडल है। इसकी परिभाषा सन् १६१२ या १६१३ में पॅट्रस प्लैंकियस (Petrus Plancius) नामक डच खगोलशास्त्री ने की थी। इसका अंग्रेज़ी नाम दो हिस्सों का बना है: कैमल (यानि ऊँट) और लेपर्ड (यानि धब्बों वाला तेंदुआ)। लातिनी में कैमलेपर्ड का मतलब था "वह ऊँट जिसपर तेंदुएँ जैसे धब्बे हों", यानि की जिराफ़।

जिराफ़ तारामंडल में ३६ तारें हैं जिन्हें बायर नाम दिए जा चुके हैं, जिनमें से अगस्त २०११ तक ४ के इर्द-गिर्द ग़ैर-सौरीय ग्रह परिक्रमा करते हुए पाए गए थे।

सन् २०११ में इसी तारामंडल के क्षेत्र में एक महानोवा (सुपरनोवा) मिला था।

अमेरिकी अंतरिक्ष अनुसंधान संस्था NASA द्वारा छोड़ा गया वॉयेजर प्रथम यान इसी तारामंडल की दिशा में बढ़ रहा है। वर्तमान से लगभग ४०,००० सालों बाद यह जिराफ़ तारामंडल के ग्लीज़ ४४५ तारे से लगभग १.६ प्रकाश वर्ष की दूरी से गुज़रेगा।

इस काल में यह तारा स्वयं भी हमारी ओर तेज़ गति से आ रहा है और जब वॉयेजर प्रथम इस के पास से निकलेगा उस समय यह तारा हमारे सूरज से लगभग ३.४५ प्रकाश वर्षों की दूरी पर होगा। इतने पास होने के बावजूद भी इस तारे की चमक पृथ्वी की सतह से बिना दूरबीन के देखे जाने के लिए पार्याप्त नहीं होगी। तब तक यान की बैट्रियाँ भी मृत हो चुकी होंगी और इस से कोई भी संकेत या चित्र पृथ्वी पर नहीं पहुँचेगा।

Credit: @ESA / @Hubble_Space / @NASA /Wikipedia